स्वामी करपात्री को भारत रत्न से अलंकृत किया जाए:-ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास




 

प्रयागराज संगम के पावन तट पर धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी के शिष्य वीरव्रती प्रबल जी महाराज के उत्तराधिकारी डॉ गुण प्रकाश चैतन्य जी महाराज के शिविर में  धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो ,भारत अखंड हो ,गऊ हत्या बंद हो का उद्घोष करने वाले धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी की अड़तीसवीं पुण्य तिथि संत दिवस के रूप में परम पूज्य स्वामी श्री सर्वेश्वरानंद जी महाराज धर्म संघ केदार घाट वाराणसी की अध्यक्षता में भारतवर्षीय धर्म संघ  एवं अखिल भारतीय रामराज परिषद के तत्वावधान में आयोजित की गई।

    जिसमें भारतवर्ष के अनेक संत ,महात्मा ,दंडी स्वामी भारी संख्या में उपस्थित रहे।

       उक्त अवसर पर धर्माचार्यओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने धर्म सम्राट को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी धर्म के पर्याय थे। आप हरि एवं हर के समन्वय थे। सनातन धर्म की रक्षा के लिए और गौ हत्या के विरोध में आजीवन संघर्ष करते रहे ।            जनपद प्रतापगढ़ के भटनी नामक ग्राम में अवतार लेकर आप 18 वर्ष की अल्पायु में अपनी एक वर्षीय देवी स्वरूपा पुत्री और परिवार को छोड़कर सन्यास की ओर निकल पड़े।

    आप द्वारा अनेकों यज्ञ कराए गए ।1944 में देश की आजादी एवं गौ हत्या के विरोध में जेल गए। यह दुर्भाग्य था कि गांधी जी की मृत्यु के पश्चात आप देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे जिसे गिरफ्तार किया गया किंतु  तत्कालीन जिलाधिकारी ने आपको अपनी गाड़ी से धर्म संघ कार्यालय तक छोड़ा ।

आपने अनेकों पुस्तकों की रचना की जिसमें मार्क्सवाद का खंडन करते हुए  मार्क्सवाद और रामराज्य, रामायण मीमांसा वेदार्थ पारिजात, भक्ति सुधा, अहमर्थ और परमार्थसार, विचार पीयूष, भगवत्तत्व, वेद का स्वरूप और प्रमाण्य, वर्णाश्रम धर्म और संकीर्तन मीमांसा, भक्तिरसार्पणव, पूंजीवाद समाजवाद एवं रामराज्य, वेदार्थ चिंतामणि प्रमुख है। 

     आप उस रामराज्य की कल्पना करते थे जिस राम राज्य में नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना , जहां कोई दरिद्र न हो ,न कोई दुखी हो ,न दीन हो ।

    अध्यक्षता कर रहे स्वामी सर्वेश्वरानंद सरस्वती धर्म संघ केदार घाट काशी ने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा तभी हो सकती है जब हम अपनी संस्कृति और संस्कार को बचाने के लिए कार्य करें। आज संतों का एवं बुद्धिजीवियों का कर्तव्य बनता है कि अपने बच्चों को संस्कारित करें। उन्हें सनातन धर्म का ज्ञान प्रदान करें। सनातन धर्म सबसे प्राचीन और महान धर्म है।

   शिव गोपाल शुक्ला कार्यवाहक अध्यक्ष अखिल भारतीय रामराज परिषद ने कहा कि आज संत भौतिकता के पीछे दौड़ रहे हैं। धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी ने सदैव भौतिकता से दूर रहकर जनमानस एवं इस संसार के कल्याण के लिए कार्य किया। 

       उक्त अवसर पर धर्माचार्य अनिरुद्ध रामानुज दास ने लोकमित्र समाचार जिसमें धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी के जीवन संबंधित लेख छपा था एवं स्वरचित मां वाराही महात्म्य  पुस्तक संतो को भेंट किया।

      कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ गंगाराम तिवारी, रामजतन शुक्ला महामंत्री अखिल भारती रामराज्य परिषद, महंत बृजमोहन दास दशरथ गद्दी अयोध्या,अजय वर्मा, सुरेश शुक्ला  पत्रकार, राजू मिश्रा एडवोकेट, राकेश दास, अवध बिहारी दास छोटी छावनी अयोध्या ,आचार्य कमलेश तिवारी सहित अनेकों लोगों ने अपने विचार एवं स्वामी जी के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

       अंत में दो प्रस्ताव पारित हुये। धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी को भारत रत्न से अलंकृत किया जाए एवं अखिल भारतीय रामराज परिषद को मजबूत बनाकर धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी के सपने को पूरा किया। कार्यक्रम का संचालन फूलचंद द्विवेदी ने किया।