शंख और मूर्ख दूसरों के फूंकने से बजते हैं:-- पाराशर जी


 



प्रतापगढ़ बाबागंज के फतेसाहपुर में श्रीमद्भागवत के दिव्य प्रवचनों का श्रवण कराते हुए भागवत महामहोपाध्याय विद्यावाचस्पति डॉक्टर श्याम सुंदर पाराशर शास्त्री जी ने कहा कि संतो के चरणों का जल जो गिरता है उसी को पाद तीर्थ कहते हैं ।जिस घर में संतों के चरणों का जल तक नहीं गिरा वह घर क्या है? जैसे सर्पों से लिपटा हुआ वृक्ष है, सर्पों के डर के मारे ना तो उसके नीचे कोई छांव लेने जा सकता है ना निश्चित होकर सो सकता है, ना उसे फल ही खा सकता है तो किस मतलब का वह फलदार वृक्ष है। उसी प्रकार धनसंपदा चाहे जितनी भरी पड़ी हो पर संतों के चरणों का जल नहीं गिरा है तो सब व्यर्थ है। भागवत रक्षकों की संगत से भगवत प्रेम जागता है जो भी व्यक्ति भागवत प्रेम और हमारी साधना भक्ति में बाधक बनता है वह कितना भी हमारा निकटतम हो उसे बैरी समझकर त्याग देना चाहिए। यह संसार एक  बड़ा भयंकर बीहड़ जंगल है और इस जंगल से कोई सद्गुरु ही हमें बाहर निकाल सकता है, जिसे गली गली का ज्ञान हो । राजा रहू गण को ऐसा उपदेश देकर भरत जी ने कहा जब तक महापुरुषों की चरण रज में अभिषेक नहीं करोगे तब तक कल्याण होने वाला नहीं है।

भगवान जाति, वर्ण, वर्ग और उम्र नहीं देखते प्रहलाद और ध्रुव को बालपन में अपनी भक्ति प्रदान किया ध्रुव को ध्रुव लोक और प्रहलाद के बिना मांगे ही 21 पीढ़ियों को बैकुंठ प्रदान करने का वरदान दिया।  

 भगवान ने पशु वत योनि में पड़े गजराज और  ग्राह का उद्वार किया। ग्राह भगवान के दास गजराज का पैर पकड़े था इसलिए भगवान का जो दास होता है उनका जो दासानुदास होता है वह ठाकुर जी कोअति प्रिय होता है।श्री राम जी तो साक्षात आनंद के सागर है जब ह्रदय में रामराज्य स्थापित होगा तो हमारे भीतर आनंद का ही साम्राज्य होगा और सारे अमंगल दूर हो जाएंगे। 

मृत्यु अटल है इसे कोई टाल नहीं सकता मूर्ख और शंख दूसरों के फूकने से ही बजते हैं। इसलिए वसुदेव की बात मानकर कंस ने देवकी को नहीं मारा और कारागार में डाल दिया। सातवें गर्भ से शेषावतार बलराम जी देवकी के गर्भ से माता रोहिणी के गर्भ में गोकुल में अवतरित हुए, और कंस के कारागार में भगवान श्रीमन्नारायण ब्राम्हण गाय देवता और संतों के हित के लिए देवकी के गर्भ से आठवें पुत्र के रूप में अवतार लिए। 

कथा के पश्चात धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने श्री पाराशर जी को अंगवस्त्रम प्रदान कर स्वरचित 51 शक्तिपीठों में एक मां वाराही देवी महात्मय की पुस्तक भेंट किया और वाराही देवी के दर्शन के लिए आमंत्रित किया। धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी को भारत रत्न प्रदान करने के विषय में चर्चा हुई। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का मणिराम छावनी के महंत पूज्य नृत्य गोपाल दास जी महाराज को अध्यक्ष बनाए जाने का स्वागत किया गया। 

 उक्त अवसर पर मुख्य यजमान तीर्थराज शुक्ला, परम वैष्णव उपेंद्र नारायण मिश्रा रामानुज दास ,डॉक्टर दिनेश द्विवेदी ,आनंद ओझा, राधारमण मिश्रा, अनतांचार्य, आत्मा देवी, उर्मिला देवी, रामपाल मिश्र, जय सिंह, धीरेंद्र सिंह, सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।